सत्याग्रहियों ने सुप्रीम कोर्ट के दहलीज पर दी दस्तक।
- भ्रष्टाचारियों का शिकार हुआ "संवैधानिक अधिकार"
- 810 दिनों से भ्रष्टाचार के विरुद्ध प्रचलित सत्याग्रह संकल्प
पर मूकदर्शक बना शासकीय तंत्र।
सेराज अहमद कुरैशी - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
भ्रष्टाचार में डूबे मुख्यमंत्री के गृह नगर में तीसरी आंख मानवाधिकार संगठन द्वारा प्रचलित सत्याग्रह संकल्प के दूसरे चरण में लोक निर्माण विभाग के विरुद्ध 5 अक्टूबर 2021 से प्रचलित सत्याग्रह संकल्प संदर्भित मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश को संबोधित 37 बिंदुओं का प्रेषित ज्ञापन पर वर्षों कार्रवाई नहीं किए जाने के उपरांत उक्त ज्ञापन मय संलग्नक मुख्य सचिव, भारत सरकार नई दिल्ली के समक्ष वैधानिक कार्रवाई हेतु प्रेषित किया गया था, जिसे मुख्य सचिव, भारत सरकार नई दिल्ली ने लेने से इनकार करते हुए संगठन को वापस कर दिया गया, जिसके उपरांत सत्याग्रह से भयभीत भ्रष्ट अभियंताओं द्वारा जिला व पुलिस प्रशासन के संरक्षण में लोक निर्माण विभाग मुख्य अभियंता कार्यालय के मुख्य द्वार को 21 सितम्बर 2023 से बंद कर सत्याग्रहियों को मुख्य द्वार के बाहर सार्वजनिक मार्ग पर सत्याग्रह करने को विवश कर दिया है।
जिसके विरुद्ध मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश व जिला,पुलिस प्रशासन के समक्ष वैधानिक कार्यवाही किए जाने हेतु प्रेषित शिकायत पत्रों पर अब तक विधिक कार्रवाई नहीं किए जाने के परिणाम स्वरूप प्रथम दृष्टया पुष्टि हो रही है कि उत्तर प्रदेश में संगठित भ्रष्टाचारियों का भ्रष्ट प्रशासन प्रचलित है और शासकीय तंत्र मुकदर्शक बना हुआ है।
उक्त के परिणाम स्वरूप तीसरी आंख मानवाधिकार संगठन द्वारा सीएजी रिपोर्ट आधारित कारित भ्रष्टाचार मय संलग्नक पत्र माननीय रजिस्ट्रार, माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली एवं उक्त की पृष्ठांकित प्रति माननीय रजिस्ट्रार, माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के साथ साथ अन्य सम्बंधित को लगभग 130 प्रतियों में द्वारा आधिकारिक ईमेल आईडी प्रेषित करते हुए जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करने की गुहार लगाई है।
अब देखना है कि माननीय न्यायालयों द्वारा इसे गंभीरता से लेते हुए कब तक विधिक प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।
उपरोक्त बातें संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार मिश्र ने सत्याग्रह स्थल पर पत्रकारों से वार्ता के दौरान बताई।