- तीन दिवसीय जश्न-ए-उर्दू कार्यक्रम का समापन।
- भारतीयों को एक सूत्र में बांधने वाली भाषाओं में उर्दू सबसे ऊपर - महेश अश्क
सेराज अहमद कुरैशी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
साजिद अली मेमोरियल कमेटी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय जश्न-ए-उर्दू कार्यक्रम के अंतिम दिन एमएसआई इंटर कॉलेज बक्शीपुर के सभागार में कथा लेखन प्रतियोगिता में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं एवं अफसाना निगारों को पुरस्कृत किया गया। इस दौरान उर्दू की तरक्की के लिए संवाद भी हुआ।
मुख्य अतिथि गोविवि के विधि विभाग के अध्यक्ष प्रो. नसीम अहमद ने कहा कि उर्दू हिंदुस्तान की खूबसूरत जबान व विरासत है। उर्दू हमें प्यार, मोहब्बत व अमन का पैगाम देती है। भारतीय सभ्यता, अस्मिता और संस्कृति में उर्दू भाषा की अहम भूमिका है। यह कहना गलत नहीं होगा कि युवा पीढ़ी में उर्दू की दीवानगी सर चढ़कर बोल रही है।
अध्यक्षता करते हुए शायर महेश अश्क ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में उर्दू कविता और साहित्य ने आजादी के सही मायने समझाने का काम किया और अंग्रेजों के अत्याचारों से अवगत कराने के साथ ही उनके नये षड्यंत्रों का पर्दाफाश किया। आज के वातावरण में भी ऐसी ही रचनाओं की आवश्यकता है, ताकि नई पीढ़ी के युवाओं को प्रेरणा मिले और उनमें देशभक्ति की भावना पैदा हो। स्वतंत्रता आंदोलन के समय भारतीयों को एक सूत्र में बांधने वाली भाषाओं में उर्दू सबसे ऊपर है।
मो. कामिल खां ने कहा कि उर्दू जबान में कौमी एकता की झलक दिखाई देती है और इसकी खास बात है कि हर कोई इसे बहुत जल्द अपना लेता है। हिंदी और उर्दू में बहुत समानताएं हैं। कमेटी के सचिव महबूब सईद हारिस ने उर्दू की तरक्की की तरक्की के लिए जरूरी है कि इस ज़बान को आम लोगों तक पहुंचाया जाए। उर्दू पढ़े-लिखे आदमी को भी उतना प्रभावित करती है, जितना किसी अनपढ़ आदमी को।
इस मौके पर काजी तवस्सुल हुसैन,डा तारिक़ सईद, डा ओबैदुल्लाह चौधरी ,हाफ़िज़ रफीुल्लाह बेग , मो हाशिर अली, मिर्जा रफीउल्लाह बेग, असीम वारसी, शमसुल इस्लाम, आसिफ सईद, मो. फर्रुख जमाल, मोहम्मद शरीक अली, डॉ.एहसान अहमद, तरन्नुम हसन, अनवर जिया, हसन जमाल बबुआ भाई, मोहम्मद रिजवान, मोहम्मद आजम, जमीर अहमद पयाम,सेराज अहमद कुरैशी, मोहम्मद आजम, अनवार आलम समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।