सेराज अहमद कुरैशी ,गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
पंडित भृगुनाथ चतुर्वेदी कालेज आफ लां बड़हलगंज गोरखपुर में "शहादत दिवस के रूप में व्याख्यान माला का" आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अभिषेक पाण्डेय ने किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि आज का दिन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में और गोरखपुर के लिए विशेष महत्व रखता है।आज ही के दिन गोरखपुर जेल में 19 दिसंबर 1927 को भारत माता को आजाद करवाने के लिए उनके सपूत पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां को फांसी की सजा दी गई। जैसाकि हम सभी जानते हैं कि भारत देश लगभग 200 वर्षों से अंग्रेजों का गुलाम रहा, गुलामी की जंजीरों से भारत मां को मुक्त कराने और स्वतंत्रता आंदोलन में धन इकट्ठा करने के लिए 01 अगस्त 1925 को अंग्रेजी खजाना लूटने के लिए काकोरी स्टेशन पर रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खां, चन्द्रशेखर आजाद,रोशन सिंह, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी आदि ने मिल कर खजाना लूट लिया, जिससे स्वतंत्रता संग्राम के लिए हथियार खरीदे जा सकें। जिन्हें खजाना लूटने के आरोप में फांसी की सजा दी गई। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में इनका नाम सदैव स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा। कालेज के मुख्य नियन्ता चन्द्र भूषण तिवारी ने अपने संबोधन में कहा गया पंडित रामप्रसाद बिस्मिल ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति देकर सदैव के लिए अमरत्व को प्राप्त कर लिया। उनके एवं उनके साथियों के बलिदान की साक्षी गोरखपुर की पावन रही है।ऐसे बलिदानियों के बलिदान को चिरस्मृतिकाल तक अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हम सभी दृढ़ संकल्पित हैं। प्रोफेसर आशीष कुमार गुप्ता ने कहा कि भारतीय समाज इनके बलिदान को शत-शत नमन करता है और इनका त्याग, स्वतंत्रता के लिए जीवन का बलिदान नौजवान पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा ।
इस कार्यक्रम में सूर्यांश कौशिक, आनन्द त्रिपाठी, बृजेश कुमार, अंकित चौरसिया,अंतिमा, सोनाली, विकास शर्मा आदि ने अपने विचार साझा किए तथा स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को याद किया गया।